Sipp ram Simm ram and sd ram full detail in hindi ( सिप रैम, सिम रैम और एस डी रैम पूर्ण विवरण )
दोस्तों पिछली पोस्ट में हमने डीप रैम ( DIPP RAM ) के बारे में जाना था, और आज के इस पोस्ट में हम सिप रैम, सिम रैम और एस डी रैम ( SD RAM ) के बारे में जानेंगे, कि यह रैम कैसे थे और इनका क्या कार्य था। किस तरह के यह दिखते थे। इन सभी बातों के बारे में आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे, और दोस्तों इस पोस्ट को स्टार्ट करने से पहले मैं आपको यह कर देना चाहता हूं, कि अगर आपने हमारा पिछला पोस्ट नहीं पड़ा है, जो कि रैम part 1 था और रैम part-2 था। इन दोनों पोस्ट को अगर नहीं पढ़ा है, तो प्लीज उन दोनों पोस्ट को पहले पढ़ ले, और फिर यह वाला पोस्ट पढ़े। जिससे कि आपको रैम के बारे में और अच्छे से समझ में आएगा।सीप रैम ( SIPP RAM )
sipp memory slot and sipp memory |
दोस्तों यह रैम 30 PIN के आते थे। और इनकी कैपेसिटी 2MB ही थी। और इसकी स्पीड 10 मेगा हर्ट्ज थी। यह रैम 1986 को आया था। और यह Ram 286 motherboard में लगता था।
आप इमेज में भी देख सकते हैं, किस तरह के इसमें PIN आती थी, और मदरबोर्ड में किस तरह से सेट किया जाता था। नीचे आपको एक फोटो दे रहा हूं आप आसानी से देख सकते हैं, और उसको समझ सकते हैं।
सिम रैम ( SIMM RAM )
Simm ram and simm ram slots |
दोस्तों जब यह रैम आया। तो इसने रैम का पूरा इतिहास ही चेंज कर दिया, और अचानक से सब बदल गया। यह सब वैज्ञानिकों के मेहनत का ही नतीजा था जिसने कि हमारे काम करने की क्षमता को और भी बढ़ा दिया, और हम अब काफी स्पीड से काम कर सकते थे। यह रैम 30 PIN का आता था, तथा इसके कार्य करने की स्पीड 16 मेगाहर्ट्ज तक की थी, और हम इस रैम की कैपेसिटी को 256 kb से लेकर 4 MB तक की बढ़ा सकते थे। मेरा मतलब के 4MB तक इस रैम की कैपेसिटी थी।
यह रैम सबसे पहले 1988 के आसपास आया था, और इस रैम के लिए अलग से स्लॉट दिया गया था। जिसके अंदर इस रैम को लगाना पड़ता था। वैसे तो सीप रैम ( SIPP RAM ) के अंदर भी अलग से स्लॉट दिया हुआ था। पर वह स्लॉट ना होकर छेद छेद था। उन छेद के अंदर इस रैम को बिठाना पड़ता था। जो कि पूरी तरह से परफेक्ट नहीं था। पर सिम रैम ( SIMM RAM ) के आते ही सब कुछ चेंज हो गया और रैम को बिठाने के लिए अलग से स्लॉट मिल गया।
सिम रैम ( SIMM RAM ) 72 pin
72 PIN Simm ram and simm ram slots |
दोस्तों इस रैम के आते ही हमारे कार्य करने की क्षमता को डबल स्पीड मिली अर्थात हम अब पहले से 2 गुना ज्यादा स्पीड से कार्य कर सकते थे। इस रैम के कार्य करने की क्षमता 16 मेगाहर्ट्ज थी, और इसकी कैपेसिटी 8 MB तक की थी। जिससे कि हम कम समय में ज्यादा कार्य कर सकते थे। इसका फोटो भी अलग से आप देख सकते हैं। और इस रैम की जो PIN आती थी। वह 72 PIN की होती थी। और यह रैम P1 मदरबोर्ड में आता था।
SD Ram
SD RAM AND SD RAM SLOT HD IMAGE |
दोस्तों एस डी रैम की शुरुआत 1990 से 1992 के बीच में हुई। यह रैम काफी ज्यादा प्रचलित हुआ। यह रैम 132 मेगाहर्ट्ज की स्पीड से कार्य करती थी। जो कि उस जमाने के हिसाब से काफी ज्यादा स्पीड थी। यह रैम P1, P2, P3 मदर बोर्ड में काम में लिया जाता था। पी 3 मदरबोर्ड तक इस रैम को आते-आते इस रैम की स्पीड भी बढ़ गई।
यह 132 मेगाहर्ट्ज से लेकर 200 मेगाहर्ट्ज तक आने लगी। इस रैम को पहचानने का सबसे खास तरीका था, कि इसके PINS के बीच में 2 कट दिए रहते थे। इस रैम को पहचानने का यही सबसे खास तरीका है, और यह रैम आकार में काफी बड़े थे। यह रैम 64 mb से लेकर 138 mb तक के आते थे। कुछ इन से ज्यादा के भी थे।
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