multimeter full details in hindi | हिंदी में जाने (part 1)
multimeter full details in hindi |
( multimeter full details in hindi | हिंदी में जाने (part 1) ) परिचय :-
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम मल्टीमीटर के बारे में विस्तार से जानेंगे, दोस्तों हम यह भी जानेंगे के, यह किस प्रकार से कार्य करती है, और मल्टीमीटर को किस - किस जगह उपयोग में लिया जाता है।दोस्तों पहले के जमाने में, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण या कॉम्पोनेंट को रिपेयर करने में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता था। पर जब से मल्टीमीटर का आविष्कार हुआ है, तब से किसी भी इलेक्ट्रिक उपकरण को रिपेयर करना, तथा किसी भी प्रकार की गलती या खराबी का पता लगाना काफी आसान हो गया है। दोस्तों मल्टीमीटर इलेक्ट्रिक जगत में एक नई क्रांति लेकर आया है। जिस ने इलेक्ट्रिक जगत को ही बदल कर रख दिया है। तो दोस्तों अब हम मल्टीमीटर के बारे में जानते हैं।
multimeter full details in hindi | हिंदी में जाने (part 1)
मल्टीमीटर की शुरुआत तथा आविष्कार :-
दोस्तों मल्टीमीटर का इतिहास बहुत ही ज्यादा पुराना है, तथा इसका आविष्कार इलेक्ट्रॉनिक की दुनिया में एक नई क्रांति लेकर आई। दोस्तों मल्टीमीटर की शुरुआत 1820 में ही हो गई थी। 1820 में करंट डिटेक्टिंग के लिए एक डिवाइस का आविष्कार किया गया था। उस डिवाइस का नाम गैल्वेनोमीटर रखा गया था। यह शुरुआती दौर का पहला मल्टीमीटर था।Galvanometer |
यह आकार में बहुत ही बड़ा था, और यह वोल्टेज और रजिस्टेंस की वैल्यू तो बताता ही था, पर यह बिल्कुल सटीक वैल्यू नहीं बता पाता था, क्योंकि यह बहुत धीरे-धीरे कार्य करता था, और धीरे होने की वजह से वैल्यू बदल जाती थी। बाद में 1920 के दशक में मल्टीमीटर का आविष्कार, रेडियो रिसीवर के रूप में किया गया। यह मल्टीमीटर आकार में काफी छोटा था। इसके कार्य करने की क्षमता काफी तेज थी, और यह बिल्कुल सटीक वैल्यू बताती थी। इस मीटर को बनाने का श्रेय पोस्ट ऑफिस इंजीनियर डॉनल्ड माकाड़ी को दिया जाता है।
मल्टीमीटर के प्रकार :-
दोस्तों आजकल मल्टीमीटर कई प्रकार के पाए जाते हैं, यह मल्टीमीटर कई प्रकार के रंग तथा आकार के पाए हैं, और उनके अलग-अलग प्रकार के करंट तथा वैल्यू को बताने की क्षमता होती है। कुछ मल्टीमीटर हैवी वोल्टेज को दर्शाने के लिए होते हैं, तो कुछ आम वोल्टेज को दर्शाने में मदद करते हैं, पर मुख्य रुप से मल्टीमीटर दो प्रकार के होते हैं।यह दो प्रकार के मल्टीमीटर निम्न है :-
एनालॉग मल्टीमीटर
डिजिटल मल्टीमीटर
मल्टीमीटर का उपयोग :-
दोनों मल्टीमीटर के कार्य प्रणाली अलग अलग होती है। दोस्तों मल्टीमीटर की सहायता से हम करंट वोल्टेज तथा रजिस्टेंस को माप सकते हैं। मल्टीमीटर का उपयोग हम, सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट तथा सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक्स कॉम्पोनेंट को रिपेयर करने, तथा उस में आई हुई खराबी का पता लगाने के लिए कर सकते हैं। अगर आपको किसी भी इलेक्ट्रिक उपकरण को रिपेयर करना है, तो आपको मल्टीमीटर को उपयोग में लेने का ही तरीका पता होना आवश्यक है।दोस्तों पहले के जमाने में या में यू कहु के, कुछ दशकों पहले कोई भी इंजीनियर या मैकेनिक किसी भी सर्किट या इलेक्ट्रिक उपकरण को, रिपेयर करने के लिए एनालॉग मल्टीमीटर को उपयोग में लेता था। यह एनालॉग मल्टीमीटर में एक प्वाइंटर तथा एक सुई होती थी, जो कि वोल्टेज तथा रजिस्टेंस को दर्शाता था। पर यह मल्टीमीटर बिल्कुल सही सही वैल्यू नहीं बता पाती थी, इसलिए इसकी जगह लोग डिजिटल मल्टीमीटर को उपयोग में लेने लगे। यह मल्टीमीटर उपयोग में लेने में बहुत ही आसान थी, और यह बिल्कुल सही सही वैल्यू बता देती थी। इस मल्टीमीटर के अंदर हमें एक डिस्पले भी मिल जाता है, जहां पर हम किसी भी वैल्यू को प्वाइंट्स में भी देख सकते हैं, और हमें एक सटीक वैल्यू का पता चल जाता है। इस कारण से ही इस मल्टीमीटर का उपयोग आज के युग में सबसे ज्यादा होता है।
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